- Post by Admin on Friday, Oct 31, 2025
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Indira Gandhi Death Anniversary 2025: 31 अक्टूबर यह तारीख भारत के इतिहास में एक गहरा निशान छोड़ती है। यही वह दिन है जब देश ने अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी को खो दिया था। वे सिर्फ़ एक नेता नहीं थीं, बल्कि भारत की राजनीतिक दृढ़ता, महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की प्रतीक थीं। उनका जीवन संघर्ष, निर्णय और दूरदर्शिता का अद्भुत संगम था जिसने भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी।
इंदिरा गांधी का जीवन परिचय इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 19 नवंबर 1917 को हुआ था। उनके पिता देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। माता का नाम कमला नेहरू था। इंदिरा गांधी ने शांतिनिकेतन से अपनी शिक्षा हासिल की, बाद में इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की। बाद में उनका विवाह फिरोज गाधी से हुआ। इंदिरा गांधी बचपन से ही राजनीति के वातावरण में पली-बढ़ीं। वह अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय भूमिका में रहीं। पिता नेहरू के सान्निध्य में उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला को करीब से देखा और उसी ने उनके भीतर नेतृत्व की लौ जलाई। जब देश आर्थिक संकट और अस्थिरता से जूझ रहा था, तब इंदिरा गांधी ने मजबूत नेतृत्व के साथ भारत की बागडोर संभाली।
साल 1966 में वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री नियुक्त हुईं। ‘गरीबी हटाओ’ का नारा इंदिरा गांधी ने समाज के निचले तबके के उत्थान के लिए नीतियां बनाईं और गरीबी हटाओ अभियान चलाकर आम जनता में उम्मीद जगाई। 1971 का भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश की आजादी उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हराया और बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस विजय ने उन्हें “Iron Lady of India” बना दिया।
पोखरण परमाणु परीक्षण इंदिरा गांधी ने 1974 में भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की श्रेणी में खड़ा किया। यह भारत के आत्मनिर्भर होने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।हरित क्रांति उन्होंने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार किए, जिससे भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ। बैंक राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांझी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। इस फैसले ने आर्थिक असमानता को घटाने और गरीबों को वित्तीय सशक्तिकरण देने में मदद की। 1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (Emergency) लगाया, यह उनके राजनीतिक जीवन का सबसे विवादित निर्णय रहा। हालांकि इस निर्णय की आलोचना हुई, पर उनके समर्थक इसे देश की स्थिरता बनाए रखने की कोशिश मानते हैं।
31 अक्टूबर 1984 को उनके अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर दिया। आज भी वे भारतीय राजनीति की सबसे सशक्त महिला नेताओं में गिनी जाती हैं।
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