अगर जिंदगी में मुश्किलें आएं तो आप क्या करेंगे? शिकायत करेंगे या हिम्मत से उनका सामना करेंगे? पश्चिम बंगाल के तुहिन विश्वास ने हालातों को मात देकर जो कर दिखाया है, वह किसी प्रेरणा से कम नहीं. तुहिन न तो हाथों से लिख सकते हैं, न ही उनकी जिंदगी आसान रही. लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और जज्बे से ना केवल कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की, बल्कि कैंपस प्लेसमेंट में मिले 50 लाख रुपये के पैकेज को भी ठुकरा दिया.

तुहिन खड़गपुर, पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं. 2017 में उन्होंने खड़गपुर आईआईटी के केंद्रीय विद्यालय से माध्यमिक परीक्षा पास की. इसके बाद राजस्थान के कोटे से हायर सेकेंडरी की परीक्षा दी. तुहिन का सपना बड़ा था और इसके लिए उन्होंने शिवपुर के कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. पढ़ाई के दौरान उन्हें कभी किसी लेखक की मदद नहीं ली. परीक्षा देने के लिए तुहिन पेन-पेंसिल को मुंह में पकड़कर लिखते थे.

मुंह से लैपटॉप पर टाइपिंग भी नॉर्मल: तुहिन का कहना है कि मुंह से लिखना या लैपटॉप पर टाइपिंग करना उनके लिए सामान्य बात है. वह इसे कभी भी चुनौती के रूप में नहीं देखते. उन्होंने बताया, 'मैं परीक्षा में भी किसी से मदद नहीं लेता. बस पन्ने पलटने में शिक्षकों की मदद लेनी पड़ती है.' तुहिन का आत्मविश्वास ऐसा है कि वह मुंह से पेन पकड़कर चित्र भी बना लेते हैं और लैपटॉप पर सहजता से काम कर लेते हैं.

50 लाख की नौकरी को कहा 'ना': बीटेक के दौरान तुहिन को 50 लाख रुपये के सालाना पैकेज का ऑफर मिला. हर किसी के लिए यह सपना हो सकता है, लेकिन तुहिन का लक्ष्य इससे भी बड़ा है. उन्होंने यह नौकरी इसलिए ठुकरा दी क्योंकि उनका इरादा रिसर्च करना है. तुहिन अंतरिक्ष यान पर काम करना चाहते हैं और इसी के लिए वह एमटेक की तैयारी कर रहे हैं.

मां की मेहनत और तुहिन का जज्बा: तुहिन की मां सुजाता विश्वास बताती हैं कि उनके बेटे को रोजमर्रा के कामों में मदद की जरूरत होती है. लेकिन पढ़ाई में उनकी मेहनत और लगन का कोई मुकाबला नहीं. तुहिन को उनकी उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल से सम्मान मिल चुका है.

तुहिन की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा: तुहिन विश्वास ने अपनी जिंदगी की चुनौतियों को कभी भी रोड़ा नहीं बनने दिया. उनकी यह कहानी हमें सिखाती है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, अगर आपके इरादे मजबूत हैं तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं. 50 लाख की नौकरी को ठुकराकर रिसर्च के रास्ते पर चलने वाले तुहिन का सपना सिर्फ उनका नहीं, बल्कि हमारे देश का भी गर्व है.

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