- Post by Admin on Sunday, Jul 06, 2025
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बूंदों ने खिड़की पर दस्तक दी,
जैसे बचपन की यादों ने दिल को छू लिया,
माँ की आवाज़, गर्म चाय की खुशबू,
वो मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू फिर से जिंदा हो गया।
हर बूँद में कोई कहानी बहती है,
कभी प्रेम की, कभी तन्हाई की,
कोई आशा के गीत गुनगुनाता है,
तो कोई आँखों की कोरों से उतर आता है।
छत की टिन पर बजता है संगीत,
जो दिल की हर धड़कन से मेल खाता है,
बारिश में भीगा हर पत्ता, हर शाख़,
जैसे जीवन फिर से मुस्कुराना चाहता है।
कभी बारिश ठहराव है, कभी बहाव,
कभी भीतर की टूटन का भाव,
पर हर बूँद कहती है मत थक, मत रुक,
इस गीली राह पर भी उम्मीद का सूरज उगता है।
चलो भीग लें इस बरसात में फिर से,
कुछ दर्द धो दें, कुछ सपने बो दें,
क्योंकि बारिश सिर्फ पानी नहीं होती दोस्त,
ये तो रब की एक नर्म छुअन होती है…।
कारवी यादव
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