कमलेश यादव : जब भारत की धरती अंग्रेजी हुकूमत के जुल्म से कांप रही थी और आदिवासी समाज शोषण, बेघर और बेइज्जती की आग में झुलस रहा था । तब जंगलों से एक गूंज उठी, जिसने सत्ता की नींव हिला दी। वो आवाज़ थी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की, जिन्होंने मात्र 25 वर्ष की उम्र में ऐसा इतिहास रच दिया, जिसे आज भी देश नमन करता है। वो न कोई राजा थे, न सामंत पर उनके विचार, साहस और संगठन शक्ति ने उन्हें अमर बना दिया।

15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलीहातू गांव में जन्मे बिरसा मुंडा बचपन से ही तेजस्वी और अनुशासित थे। उन्होंने देखा कि किस तरह अंग्रेज आदिवासियों की ज़मीन हड़प रहे हैं, ईसाई मिशनरियों के ज़रिए जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है और समाज की जड़ें खोखली की जा रही हैं। यह अन्याय उनके भीतर क्रांति की चिंगारी बना और उन्होंने आदिवासियों को संगठित करना शुरू किया।

बिरसा मुंडा ने "उलगुलान" (महाविद्रोह) का आह्वान किया, जो अंग्रेजों के खिलाफ एक जबरदस्त आंदोलन था। उन्होंने अपने लोगों को समझाया कि उनकी जमीन, उनकी संस्कृति और उनके अधिकारों की रक्षा करना अब जरूरी है। “अबुआ दिशुम, अबुआ राज” (हमारा देश, हमारा शासन) उनका नारा बन गया। हजारों आदिवासियों ने उन्हें भगवान की तरह माना और उनके पीछे चल पड़े।

अंग्रेजी सरकार बिरसा मुंडा की बढ़ती लोकप्रियता से घबरा गई। उन्होंने उन्हें पकड़ने के लिए इनाम रखा और अंततः 3 फरवरी 1900 को गिरफ्तार कर लिया। जेल में बंद बिरसा की संदिग्ध परिस्थितियों में 9 जून 1900 को मौत हो गई। अंग्रेजों ने दावा किया कि उनकी मौत बीमारी से हुई, लेकिन लोगों का विश्वास है कि उन्हें मार दिया गया।

आज बिरसा मुंडा सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता, संघर्ष और स्वाभिमान का प्रतीक हैं। उनकी जयंती 15 नवंबर को पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाती है। स्कूलों, कॉलेजों और गांवों में आज भी उनकी कहानियाँ बच्चों को प्रेरित करती हैं। बिरसा ने जो बीज बोया था, वो आज एक चेतना का वटवृक्ष बन चुका है। बिरसा मुंडा ने सिखाया कि परिस्थितियाँ चाहे जितनी कठिन हों, अगर इरादे मजबूत हों, तो एक साधारण युवा भी इतिहास बना सकता है। उनकी प्रेरणा आज भी हर उस आवाज़ को ताकत देती है जो अन्याय के खिलाफ खड़ी होती है।

Share

अन्य समाचार

img-20250902-wa0027

किसान, आम नागरिक, छात्र, नीति निर्माता, और उद्योग सभी को एकीकृत प्रयास करना होगा ताकि अमेरिकी टैरिफ की चुनौती को अवसर में बदला जा सके

मेक इन इंडिया और MSME के माध्यम से अमेरिकी उत्पादों के सशक्त विकल्प तैयार करना अब समय की मांग है।


Read More...
dsc-8649-sd-logo-2025-08-03t14-33-12477

NRI Convention in Chicago : अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रमेन डेका और वित्त मंत्री ओमप्रकाश चौधरी

नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (NACHA) के तत्वावधान में 2 अगस्त को शिकागो में तीसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया


Read More...
images-32

मौत के मंज़र से लौट आया रमेश

रमेश विश्वास कुमार, जो एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 में लंदन की यात्रा पर निकले थे, अब अस्पताल के बिस्तर पर हैं जिंदा, लेकिन गहरे सदमे में।


Read More...
img-20250603-wa0000

समसामयिक लेख : जहर बोएंगे तो मौत की फसल ही काटेंगे:

"यद्भविष्यति तद् बीजम्।" — अर्थात जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल मिलेगा।


Read More...
war

रूस ने यूक्रेन को जवाब देने की खाई कसम

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध एक बार फिर से भड़कता दिख रहा है। यूक्रेन ने रूस के एयरबेस पर पर्ल हार्बर जैसा भीषण ड्रोन हमला किया है। इसमें रूस के 41 बमवर्षक व‍िमान तबाह हो गए हैं। यूक्रेन ने रूस के उन विमानों को निशाना बनाया जो न्यूक्लियर वॉर हेड ले जाने में सक्षम हैं।


Read More...
img-20250517-wa0017

नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल: एक भारतीय नवाचार जो बचा सकता है उर्वरकों पर हजारों करोड़

नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल” के नाम से चर्चित यह तकनीक आज देश के 16 से अधिक राज्यों के प्रगतिशील किसान अपने खेतों में अपना चुके हैं


Read More...
images-7

वैश्विक मीडिया में सुनाई दी सैन्य संघर्ष की गूंज

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव सातवें आसमान पर है।


Read More...
images-6

आसमान की बेटी व्योमिका: एक सपना जो बना देश का गर्व

भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह की यही कहानी है—सपनों को पंख देने की, चुनौतियों को चीरते हुए आकाश को छूने की, और पूरे देश को गौरव का अनुभव कराने की।


Read More...
images-2

ISRO की नई उड़ान: देश की सीमाओं पर अंतरिक्ष से रखेगा पैनी नजर, 3 साल में 150 सैटेलाइट लॉन्च की तैयारी

भारत अब अपनी सीमाओं की निगरानी अंतरिक्ष से और अधिक सशक्त तरीके से करेगा।


Read More...
img-20250404-wa0034

National Fire Service Day : अग्नि से भी अधिक तेज़—हमारे अग्निशूरों को सलाम

उनके लिए ड्यूटी केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक कर्तव्य है—जिसे वे पूरे तन, मन और जीवन से निभाते हैं। इनकी वर्दी भले ही धुएं में ढकी हो, लेकिन इनका जज़्बा आसमान से भी ऊँचा होता है।


Read More...