कारवी : 14 अप्रैल... एक तारीख जो सिर्फ कैलेंडर का एक दिन नहीं, बल्कि साहस, समर्पण और बलिदान की मिसाल है। यह वह दिन है जब हम उन नायकों को याद करते हैं, जो दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दिए । उनके लिए ड्यूटी केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक कर्तव्य है—जिसे वे पूरे तन, मन और जीवन से निभाते हैं। इनकी वर्दी भले ही धुएं में ढकी हो, लेकिन इनका जज़्बा आसमान से भी ऊँचा होता है। अग्निशमन सेवा दिवस पर हम उनके अद्भुत साहस को नमन करते हैं, जो हर मुश्किल घड़ी में हमारे लिए ढाल बनकर खड़े रहते हैं।

14 अप्रैल को अग्निशमन सेवा दिवस (National Fire Service Day) के रूप में मनाने के पीछे एक गहरी और दर्दनाक कहानी है। वर्ष 1944 में इसी दिन मुंबई बंदरगाह पर एक भयानक अग्निकांड हुआ था, जब 'फोर्ट स्टिकिन' नामक मालवाहक जहाज में विस्फोट हुआ। इस विस्फोट और उसके बाद लगी आग को बुझाते समय हमारे 66 अग्निशामकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि हमारी फायर सर्विस के इतिहास का सबसे बड़ा बलिदान था। तभी से यह दिन समर्पित है उन वीर जवानों की याद में, जो "जीवन की रक्षा" के इस पवित्र कर्तव्य में शहीद हो गए।

अग्निशमन कर्मचारी न केवल आग बुझाते हैं, बल्कि हर आपात स्थिति में सबसे पहले पहुंचने वाले सिपाही होते हैं। उन्हें न समय की परवाह होती है, न मौसम की, न ही अपनी सुरक्षा की। वे केवल एक बात जानते हैं—"किसी की जान बचानी है!" इनकी ट्रेनिंग कठोर होती है, लेकिन उससे भी कठोर होती है इनकी इच्छाशक्ति। धुएं से भरी अंधेरी सुरंग हो या धधकती इमारत, ये वीर बिना एक पल गंवाए लोगों की जान बचाने के लिए उसमें कूद जाते हैं।

आम जनता को चाहिए कि वह इन अग्निशूरों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखे। इनके योगदान को केवल एक दिवस तक सीमित न रखें, बल्कि हर उस मोड़ पर याद करें, जब कोई अग्निकर्मी एक अनजान व्यक्ति की जान बचाने अपनी जान की परवाह नहीं करता। अग्निशमन सेवा दिवस एक स्मरण है—कि सच्ची वीरता वर्दी में नहीं, बल्कि उस दिल में बसती है जो दूसरों के लिए धड़कता है।

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