कारवी : भारत के गाँवों में सामाजिक सुरक्षा और महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को एक साथ सशक्त करने वाली अनोखी पहल, बीमा सखी योजना, अब तेज़ी से राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले रही है।

इस योजना का उद्देश्य है हर ग्रामीण घर तक बीमा का लाभ पहुँचाना और महिलाओं को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाना। हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसके तहत देश भर के स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी महिलाओं को बीमा सखी के रूप में प्रशिक्षित और नियुक्त किया जाएगा। यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “2047 तक सभी के लिए बीमा” के विज़न और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को जमीन पर उतारने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

बीमा सखियाँ कौन होती हैं? बीमा सखी वे महिला उद्यमी होती हैं जो अपने ही गाँव या पंचायत स्तर पर बीमा एजेंट की भूमिका निभाती हैं। ये न केवल LIC की बीमा योजनाओं को प्रचारित करती हैं, बल्कि बीमा के महत्व, दावों की प्रक्रिया, दस्तावेज़ों की जानकारी, और वित्तीय जागरूकता को भी बढ़ावा देती हैं।

क्यों ज़रूरी है ये योजना: बीमा जागरूकता बढ़ाना – ग्रामीण समुदायों को बीमा के लाभ और अधिकारों की जानकारी देना स्थानीय रोजगार सृजन – महिलाओं को स्वरोजगार का अवसर देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच – प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना वित्तीय समावेशन – LIC की पॉलिसियों के ज़रिए गाँवों को औपचारिक वित्तीय सुरक्षा से जोड़ना

बीमा सखी कैसे बनें? अगर आप एक ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्र में रहने वाली महिला हैं और सामाजिक कार्यों या वित्तीय सेवाओं में रुचि रखती हैं, तो आप भी बीमा सखी बन सकती हैं।

बीमा सखी बनने के लिए आवश्यक योग्यताएँ: महिला उम्मीदवार की उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए न्यूनतम शिक्षा: 10वीं पास (कुछ राज्यों में 12वीं आवश्यक हो सकती है) वह स्वयं सहायता समूह (SHG) की सदस्य हो स्थानीय स्तर पर लोगों से संवाद करने में सक्षम हो उसके पास आधार कार्ड, बैंक खाता और मोबाइल फोन होना चाहिए

प्रशिक्षण प्रक्रिया: LIC और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से 5 से 7 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है इसमें बीमा योजनाओं, बिक्री कौशल, दस्तावेज़ प्रबंधन और वित्तीय समावेशन की समझ दी जाती है प्रशिक्षण के बाद प्रमाणपत्र और बीमा सखी पहचान-पत्र दिया जाता है

काम और कमाई: बीमा सखी LIC की विभिन्न योजनाओं को ग्रामीण लोगों तक पहुँचाती हैं प्रत्येक बीमा पॉलिसी बेचने पर कमीशन मिलता है दावों की प्रक्रिया में सहायता करने और बीमा नवीकरण पर भी प्रोत्साहन मिलता है इससे हर महीने ₹5000 से ₹15,000 तक की आय हो सकती है (स्थानीय प्रदर्शन पर निर्भर)

यह योजना क्यों है ख़ास? हर गाँव में बीमा सेवाओं की पहुँच संभव हो रही है ग्रामीण महिलाएँ पहली बार बीमा जैसे तकनीकी क्षेत्र से जुड़ रही हैं बीमा सखियाँ अपने गाँव की पहली ‘बीमा काउंसलर’ बनती हैं – भरोसे की प्रतीक

आगे की राह: एक राष्ट्रीय आंदोलन की ओर सरकार का लक्ष्य है कि हर पंचायत में कम से कम एक बीमा सखी हो। इसके लिए राज्य सरकारें, बैंकिंग संस्थाएं और NGOs मिलकर काम कर रहे हैं। जल्द ही, बीमा सखी ग्रामीण डिजिटल बैंकिंग एजेंट और वित्तीय सलाहकार की भूमिका भी निभा सकेंगी। यह योजना सिर्फ एक स्कीम नहीं, गाँवों में बदलाव लाने वाली महिलाओं का एक आंदोलन है। “बीमा सखी बने – गाँव को सुरक्षित बनाएं, खुद को आत्मनिर्भर बनाएं!” अगर आप बीमा सखी बनना चाहती हैं तो नजदीकी आजीविका मिशन कार्यालय, LIC शाखा में संपर्क करें।

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