- Post by Admin on Saturday, Jun 21, 2025
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रजनी : जब मन अस्थिर हो, विचार भ्रमित हों और शरीर थका हुआ हो तब योग एक दिव्य दीपक की तरह हमारे भीतर प्रकाशित करता है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि यह उस आत्मशक्ति का पर्व है जहाँ शरीर, मन और आत्मा एक लय में झूमते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भीतर की शांति बाहर की दुनिया को भी शांत कर सकती है। जब सूरज उगता है और एक साधक ध्यानस्थ होकर योगमय होता है तो वह क्षण पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बन जाता है।
आज 21 जून को देशभर में योग दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। शहर के विभिन्न स्कूलों, पार्कों, संस्थानों और योग केंद्रों में हजारों लोगों ने सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान जैसे योगाभ्यासों में भाग लिया। सत्यदर्शन लाइव की टीम ने राजनांदगांव, रायपुर, दुर्ग से लेकर गाँवों तक योग की उस ऊर्जा को महसूस किया जो आज हर उम्र, हर वर्ग में एक नई चेतना भर रही है।
योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। विशेषज्ञ बताते हैं कि नियमित योग से न केवल बीमारियाँ दूर होती हैं बल्कि मानसिक स्पष्टता, आत्मविश्वास और सहनशीलता भी बढ़ती है। विशेषकर युवा पीढ़ी में मोबाइल और सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रयोग से उत्पन्न तनाव को दूर करने में योग चमत्कारी साबित हो रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि हम अनजाने में भी कई योग आसनों को अपने दैनिक जीवन में कर रहे होते हैं। जैसे कि कोई व्यक्ति थकने के बाद पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को खोलकर विश्राम करता है यह ‘शवासन’ है। किसी माता-पिता का सुबह बच्चों को उठाते हुए दोनों हाथ ऊपर खींचना—यह 'ताड़ासन' है। खेतों में किसान का झुककर काम करना ‘पादहस्तासन’ जैसा ही है।
यानी योग हमारी संस्कृति और दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा रहा है, बस पहचानना बाकी है। योग न किसी धर्म का है, न किसी वर्ग का—यह मानवता की अमूल्य धरोहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से जब 2015 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाया जाने लगा, तब से पूरी दुनिया ने भारतीय ज्ञान परंपरा की महिमा को अनुभव किया है।
सत्यदर्शन लाइव आज सभी नागरिकों से अपील करता है सिर्फ एक दिन नहीं, हर दिन योग को अपनाएं, अपने जीवन में आत्मिक शांति और संतुलन को स्थान दें।
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