सत्यदर्शन लाइव डिजिटल डेस्क: राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ की नई पहचान गढ़ने वाले जिलों में सारंगढ़-बिलाईगढ़ का नाम आज गर्व से लिया जाता है। पिछले 25 वर्षों में इस जिले ने विकास की ऐसी मिसाल कायम की है जहां कृषि की हरियाली, सड़कों का सुदृढ़ीकरण, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, शिक्षा और रोजगार के अवसर लोगों के जीवन में बदलाव की कहानी लिख रहे हैं। आइये जानते हैं सारंगढ़ जिले की गौरवशाली कहानी।

कृषि:- हर गाँव की मिट्टी में मेहनत की खुशबू है, हर चेहरे पर आत्मनिर्भरता की चमक हैं। 25 वर्षाें में जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ को 7 बार “डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार” प्राप्त हुआ है। जो कि जिले के लिए प्रमुख उपलब्धि एवं गौरव की बात है। “डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार” छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की कृषि विभाग द्वारा किसानों को कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान, नवाचार और उत्पादन वृद्धि हेतु दिया जाता है। पुरस्कार स्वरूप राशि 2,00,000 रू. तथा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाता है। डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार से सम्मानित किसान: कृषि के क्षेत्र में स्वयं के राजदूत से रीपर बना कर, नवाचारी कार्य, बीज उत्पादन कार्यक्रम एवं नविन तकनिकों का प्रचार प्रसार करने पर वर्ष 2009 में सारंगढ विजय यादव को वर्ष 2014 में ग्राम केडार रामगोपाल साहू को कृषक सेवा यंत्र केन्द्र की स्थापना, कृषि के उन्नत तकनिको का उपयोग, दलहन फसल उत्पादन में उत्कृष्ट कार्य, वर्ष 2014 में ही सारंगढ़ ब्लॉक के ग्राम गाताडीह के डेढराज चंद्रा को जैविक खाद के प्रचार प्रसार के साथ हरीखाद का उपयोग एवं श्रीविधी से सर्वाेधिक धान उत्पादन, वर्ष 2016 में कंचनपुर के कृषक लक्ष्मण कुमार पटेल को केला उत्पादन एवं जैविक कीटनाशको एवं वृद्विवर्धको का स्व निर्माण एवं उपयोग, संवर्गी खेती वर्ष 2019 में ग्राम मानिकपुर के खीरसागर पटेल को श्रीविधि से धान उत्पादन एवं दलहन-तिलहन का सर्वाेधिक उत्पादन कर प्रचार प्रसार, चिडिया भगाने वाले यंत्र का नवाचार, वर्ष 2021 में ग्राम नवापाली के मुकेश चौधरी को जैविक खेती, विलुप्त प्रजाति के देशी धान बीज की खेती। मिलेंट फसल उत्पादन एवं प्रचार-प्रसार और वर्ष 2024 में ग्राम गंधराचुंवा के खेमराज पटेल को प्रजनन बीज, बीज उत्पादन कार्यक्रम, जल तथा सिंचाई के साधनो का सर्वाेत्तम उपयोग। केला की खेती से मछली, मुर्गी, बकरी पालन कर आय में वृद्वि करते हुए संतुलित खेती करने पर राज्य स्तर में “डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।

पेयजल: लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल जीवन मिशन के तहत सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के 257 गांवों के प्रत्येक घर में जल पहुंचाया जा चुका है। इस रिकॉर्ड के साथ ही यह जिला हर घर जल पहुंचाने के मामले में प्रदेश में 2 नंबर पर है। तीन समूह जल प्रदाय योजना के तहत भद्रा, रीवापार के 84 ग्रामों में वहीं बार, कंचनपुर के 102 ग्रामों में, साथ ही साथ घोठला छोटे हरदी के 69 ग्रामों में जल प्रदाय योजना तहत जनवरी तक गांव गांव तक जल दिया जाएगा। इस जिले के 706 गांवों के 1 लाख 61 हजार 727 घरों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 1 लाख नल कनेक्शन किया जा चुका है। मनरेगा- पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत महात्मा गांधी नरेगा योजना प्रारंभ से जिले में 1.34 लाख पंजीकृत परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए 980.06 करोड़ रूपए (मजदूरी एवं सामग्री में व्यय) का रोजगार उपलब्ध कराकर 116327 परिसंपत्तियों का निर्माण किया गया। व्यक्तिगत कार्य में डबरी, भूमि सुधार, गाय शेड, मुर्गी शेड, बकरी शेड, प्रधानमंत्री आवास (90 दिवस मजदूरी) इत्यादि परिसंपत्तियों का निर्माण किया गया है। सामुदायिक कार्य में चेकडेम, सिंचाई नाली, तटबंध, गेबियन, बोल्डर चेक, खाद्यान्न भंडार, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी इत्यादि कार्यों का निर्माण किया गया है।

शौचालय: राज्य निर्माण के बाद सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में 1.54 लाख परिवार में शौचालय निर्मित स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय स्तर पर स्वच्छता के प्रति व्यवहारगत परिवर्तन लाने के उद्देश्य एवं समुदाय को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए जिले में वर्ष 2015-16 से अब तक 1.54 लाख व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है। शौचालय बनने एवं उसके उपयोग से डायरिया पीलिया जैसे जल जनित बीमारियों में कमी आई है। जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ खुले में शौचमुक्त जिला बनने का गौरव भी प्राप्त कर लिया है।

विद्युत: राज्य स्थापना के समय सारंगढ़ और बरमकेला ब्लॉक थे तब और आज 25 वर्ष पूर्ण होने पर मई 2025 की स्थिति में अब सारंगढ़ और बिलाईगढ़ अनुभाग को 3 साल पहले जिला बनाया गया है। ऊर्जा विभाग (विद्युत कम्पनी) अंतर्गत वर्ष 2000 में 132 केवी उपकेंद्र की संख्या शून्य था,ई जबकि आज 2 है। वर्ष 2000 में 132 केवी उपकेंद्र की क्षमता शून्य था जबकि आज 263 एमवीए है। 33/11 केवी उपकेंद्र की संख्या 2 था, जबकि आज 26 है। 33/11 केवी उपकेंद्र की क्षमता शून्य था, जो आज 219.1 एमवीए है। 33 केवी लाइन को लंबाई 90 किमी था, जो आज 364.1 किमी है। 11 केवी लाइन की लंबाई 536 किमी था, जो आज 2146.8 किमी है। निम्न दाब की लाइन 767 किमी था जो आज 4536.93 है। वर्ष 2000 में निम्न दाब वाले 33 हजार 557 उपभोक्ता थे, जो आज 99 हजार 274 उपभोक्ता हैं। इसी प्रकार उच्च दाब वाले उपभोक्ता शून्य थे, जो आज 25 उपभोक्ता हैं। विद्युतीकृत (प्रावधिक) पंपों की संख्या 1422 था जो आज 10 हजार 62 स्थापित किए गए। अस्थाई पंपों की संख्या 320 था, जो आज 14 हजार 391 है। ग्रामीण विद्युतीकरण की संख्या 607 था, जो आज 718 है। बीपीएल उपभोक्ताओं की संख्या 14970 था जो आज 4293 है। वितरण ट्रांसफार्मर की संख्या 422 था जो आज 4042 है।

पुल पुलिया : लोक निर्माण विभाग सेतु अंतर्गत 2004-2005 लीलार नाला/सारंगढ़ परसकोल मार्ग पर पुल निर्माण, 2008-2009 किंकारी नाला/खैरगढ़ी देवगॉव मार्ग के कि.मी. 4/8 पर पुल निर्माण, 2009-2010 लीलार नाला/उल्खर गोपालभौना बरदुला मार्ग पर पुल निर्माण कार्य, 2014-2015 खपान नाला/बासनपाली से सुरली मार्ग पर पुल निर्माण, 2014-2015 किंकारी नाला/तौसिर लेन्ध्रा मार्ग पर पुल निर्माण, 2017-2018 सारंगढ़ के भंडीसार से पिपरडीह मार्ग पर लीलार नाला पर पुल निर्माण, 2017-2018 सारंगढ़ के पामगढ शिवरीनारायण सारंगढ़ बरमकेला सोहेला मार्ग के कि.मी. 4/6 पर लात नाला पर पुल का निर्माण कार्य, 2017-2018 पहन्दा चोरभट्टी से लीलार नाला पर पुल निर्माण कार्य, 2018-2019 सरिया-सांकरा मार्ग के कि.मी 6/2 पर किंकारी पर सेतु निर्माण, 2021-2022 मल्दा ब से मकरी मार्ग पर बंजारी नाला पर पुल निर्माण कार्य, 2021-2022 दानीघाटी से पकिन मार्ग मे देवदरहा नाला में पुलिया निर्माण, 2022-2023 कोसमडीह कोतरा मार्ग पर किंकारी नाला पर पुल निर्माण, 2022-2023 अमोदी अमेठी से साराडीह मार्ग पर घोघरा नाला पर पुल निर्माण, 2023-2024 गोड़ा से टांगर मार्ग के लात नाला पर पुल निर्माण कार्य किया गया।

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